प्रमाण—समीक्षा
प्रमाण—समीक्षा प्रमाण का लक्षण सम्यग्ज्ञानं प्रमाणं । अत्र सम्यक्पदं संशयविपयंयानध्यवसायनिरासाय क्रियते अप्रमाणत्वादेतेषां ज्ञाननामिति। (न्या.पृ.९) सच्चे ज्ञान को प्रमाण कहते हैं। यहां जो सम्यक्पद है वह संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय के निराकरण के लिए क्योंकि ये तीनों ज्ञान मिथ्या ज्ञान हैं।संशय— विरुद्धानेककोटिस्पर्शि ज्ञानं संशय:, यथा स्थाणुर्वा पुरूषों वेती। (न्या.पृ.९) विरुद्ध अनेक पक्षों के स्पर्श करने वाले…