परमागम के अनमोल मोती!
परमागम के अनमोल मोती दर्शन पाहुड़ १. जो साधु पुरूष, तीनों (मन, वचन काय) योगों से; दोनों प्रकार के अंतरंग एवं बहिरंग परिग्रहों को त्यागकर, इन्द्रिय विषयभोगों से रागरहित होकर ज्ञान को निर्मल रखते हैं तथा खड़े होकर आहार लेते हैं उन्हीं मुनियों को सम्यक्त्व होता है। २. सम्यक्दर्शन पूर्वक ही ज्ञान सम्यक्…