दैवसिक/ रात्रिक प्रतिक्रमण ( हिन्दी )
दैवसिक/रात्रिक प्रतिक्रमण (हिन्दी) चौबोल छन्द जो प्रमाद से हुए बहुत से, दोष जीव में आते हैं। इस प्रतिक्रमण के करने से, वे सभी नष्ट हो जाते हैं।। इसलिए मुनी बोधनहेतू, मल विरहित प्रतिक्रमण विधि को। मैं कहूँ विविध जो कर्म हुए, उन सबके ही प्रक्षालन को।।१।। मुझ पापिष्ठ दुरात्मा जड़-बुद्धी मायावी लोभी ने। राग व...