अथ मन्दिर निर्माणविधिः
प्रतिष्ठापाठ अथ मन्दिर निर्माणविधिः (श्री वसुविंदु आचार्य अपरनाम जयसेनाचार्य विरचित) अब मन्दिर बनाने की विधि कहते हैं- शुद्ध प्रदेशे नगरेऽप्यटव्यां नदीसमीपे शुचितीर्थभूम्यां। विस्तीर्णशृंगोन्नतकेतुमालाविराजितं जैनगृहं प्रशस्तं।।१२५।। शुद्ध स्थान में, नगर में, वन में, नदी के समीप में तथा तीर्थ की भूमि में विस्तारयुक्त शिखर और केतु की पंक्ति से शोभायमान ऐसा जिनभवन प्रशस्त होता है। शुद्धे…