सम्यग्दर्शन का स्वरूप!
सम्यग्दर्शन का स्वरूप सम्यग्दर्शन के विषय में अध्यात्मवादियों के यहाँ सदा चर्चा चला करती है। वे व्यवहार को अनावश्यक मान गृहस्थ के लिए भी निश्चय सम्यक्त्व आवश्यक सोचते हैं। उस सम्यग्दर्शन के विषय में स्पष्टीकरण आवश्यक है। जैसे धर्म अहिंसा रूप है, यह गौतम गणधर ने प्रतिक्रमण ग्रंथत्रयी में कहा है। उस धर्म के श्रावक…