‘गणधर के बिन वाणी झेले कौन ?’!
गणधर के बिन वाणी झेले कौन ? तर्ज—सावन का महीना…………………….. ‘‘सावन का महीना हुआ राजगृही में शोर, समवशरण में सिंहासन पर बैठे वीरा मौन होऽऽ बारह सभा बनी अति सुन्दर, प्रभु दर्शन कर हर्षाया। विपुला पर्वत के ऊपर ,विनय भाव से शीश झुकाया। दिव्यध्वनि ना खिरी प्रभु का , वेष दिगम्बर तत्क्षण धारा। क्योंकि नहीं…