चंदन-सी आर्यिका चंदनामती की षट्खण्डागम की हिन्दी टीका(पुस्तक-१०)की समीक्षा प्रोफैसर वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ' बोधपाहुड में उल्लेख आता है कि वैराग्य की उत्तम भूमिका को पाकर मुमुक्ष व्यक्ति अपने सब सगे सम्बन्धियों से क्षमा माँगने के बाद गुरु की शरण में जाकर सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग कर देता है और ज्ञाता-दृष्टा रहता हुआ साम्य जीवन...