केवल ज्ञान!
केवल ज्ञान [[जैन दर्शन]] के अनुसार केवल विशुद्धतम ज्ञान को कहते हैं। इस ज्ञान के चार प्रतिबंधक कर्म होते हैं- मोहनीय, ज्ञानावरण, दर्शनवरण तथा अंतराय। इन चारों कर्मों का क्षय होने से केवलज्ञान का उदय होता हैं। इन कर्मों में सर्वप्रथम मोहकर का, तदनन्तर इतर तीनों कर्मों का एक साथ ही क्षय होता है। केवलज्ञान…