तत्त्वार्थसूत्र भजन-अष्टम अध्याय!
भजन-८ अष्टम अध्याय हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव गुण गाते।।टेक.।। तत्त्वार्थसूत्र अष्टम अध्याय में, उमास्वामी जी कहते हैं। वे बंधतत्व का वर्णन क्रमश:, पाँच हेतु से करते हैं।। उस कर्मबंध के कारण ही, प्राणी संसारी कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव…