श्री पार्श्वनाथ दि.जैन कमठाण अतिशय क्षेत्र —ब्र. कु. इन्दू जैन (संघस्थ) जला बीदर (कर्नाटक) में स्थित कमठाण नामका यह अतिशय क्षेत्र बीदर बस स्टैण्ड से आधा कि.मी.दूर एवं रेलवे स्टेशन से ११ कि.मी. दूर है। रेल अथवा सड़क मार्ग, मुम्बई-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.९ से १९ कि.मी. की दूरी पर है। बीदर जैन मंदिर में भी…
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र स्तवनिधी ब्र. कु. इन्दू जैन (संघस्थ) श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र स्तवनिधी जिला बेलगाँव (कर्नाटक) में स्थित है। यह क्षेत्र कोल्हापुर रेलवे स्टेशन से ४५ कि.मी. एवं बेलगाँव रेलवे स्टेशन से ७० कि.मी. दूर अवस्थित है। सड़क मार्ग से पहुँचने के लिए कोल्हापुर से ४५ कि.मी. राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.-४ है।…
अरटाल अतिशय क्षेत्र (ऋषभदेशना पत्रिका से साभार) कर्नाटक हावेरी जिले में स्थित अरटाल ग्राम का पूरा नाम अरटावली था। हावेरी से अरटाल ग्राम करीब ५१ किमी. दूर है। अरटाल अतिशय क्षेत्र में विराजमान १००८ श्री पाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा अतिशययुक्त है। मंदिर की प्राचीनता- वहाँ विद्यमान शिलालेख के अनुसार सन् १०४५ में इस मंदिर का…
कनकगिरी के विजयी पार्श्वनाथ —सुरेश जैन (आई.ए.एस.), भोपाल कनकगिरि कर्नाटक राज्य में कर्नाटक, केरला और तमिलनाडु राज्यों की सीमा पर स्थित है। मैसूर से नजनगढ़ एवं गुण्डलूपेठ होते हुए ऊँटी मार्ग जाता है। ऊँटी से लौटते समय गुण्डलूपेठ से दाहिनी ओर जाकर कनकगिरि २५ कि.मी. दूर पर स्थित है। मैसूर एवं नजनगढ़ से मलेयूर तक…
तीर्थंकर पंचकल्याणक तीर्थ वर्तमान युग में २४ तीर्थंकर भगवन्तों के पाँचोें कल्याणकों से पवित्र अनेकों तीर्थ हैं, जिनमें १६ जन्मभूमियाँ- १ दीक्षाभूमि, ३ केवलज्ञानभूमि एवं ५ निर्वाणभूमियाँ हैं। दीक्षाभूमि १ एवं केवलज्ञान भूमि ३ होने का कारण यह है कि अधिकांश तीर्थंकरों के उन-उनकी जन्मभूमि में ही दीक्षा एवं केवलज्ञानकल्याणक हुए हैं। यहाँ सर्वप्रथम २४…
श्री १००८ सहस्रफणी अतिशय क्षेत्र (बीजापुर) बीजापुर अतिशय क्षेत्र कर्नाटक प्रांत के बीजापुर जिले में अवस्थित है। यह क्षेत्र बीजापुर रेलवे स्टेशन से ६ कि.मी. दूर तथा बस स्टैण्ड से २ कि.मी. दूर है। रेल अथवा सड़क मार्ग से व्हाया सोलापुर होकर जा सकते हैं। यहाँ भगवान पार्श्वनाथ की सातिशय प्रतिमा लगभग १५०० वर्ष प्राचीन…
दक्षिण भारत के प्रमुख ऐतिहासिक तीर्थ तमिलनाडु श्रीमनारगुडी क्षेत्र—श्रीमनारगुडी क्षेत्र तंजौर जिले में है। यह निडमंगलम् दक्षिण रेलवे स्टेशन से लगभग १४ किमी. दूर है। यह स्थान श्री जीवंधर स्वामी का जन्मस्थान बताया जाता है। कहते हैं सन् १८०० में यहाँ एक मुनि पर्ण कुटी में तपस्या किया करते थे। उन्होंने ही यहाँ भगवान पाश्र्वनाथ…
कतिपय ऐतिहासिक प्रमुख तीर्थ यहाँ कुछ प्रमुख ऐतिहासिक तीर्थों से आपको परिचित कराया जा रहा है। इन तीर्थों को दो भागों में विभक्त किया गया है-(१) उत्तर भारत के तीर्थ (२) दक्षिण भारत के तीर्थ। प्रथमत: आप पढ़ेंगे उत्तर भारत के तीर्थों के बारे में- उत्तर भारत के प्रमुख ऐतिहासिक तीर्थ उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड ऋषभांचल- ऋषभांचल अतिशय तीर्थक्षेत्र…