30. पश्चिम पुष्करार्ध ऐरावतक्षेत्र भविष्यत्कालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. ३०) पश्चिम पुष्करार्ध ऐरावतक्षेत्र भविष्यत्कालीन तीर्थंकर स्तोत्र गीता छंद पश्चिम सुपुष्कर द्वीप के, उत्तर दिशा में जानिये। शुभ क्षेत्र ऐरावत वहाँ पर, कर्म भूमी मानिये।। होंगे वहाँ तीर्थेश भावी, आज उनकी वंदना। मैं करूँ श्रद्धा भक्ति धरके, मोह की कर वंचना।।१।। दोहा कोटि सूर्य शशि से अधिक, तुम प्रभु जोतिर्मान। शीश नमाकर मैं…