मनुष्यों को सुख कहाँ-कहाँ पर है?
मनुष्यों को सुख कहाँ-कहाँ पर है? मनुष्यों को १२६ भोगभूमियों में अर्थात् ३० भोगभूमि तथा ९६ कुभोगभूमि में केवल सुख और कर्म भूमियों में सुख-दुख दोनों ही होते हैं।
मनुष्यों को सुख कहाँ-कहाँ पर है? मनुष्यों को १२६ भोगभूमियों में अर्थात् ३० भोगभूमि तथा ९६ कुभोगभूमि में केवल सुख और कर्म भूमियों में सुख-दुख दोनों ही होते हैं।
भरत आदि क्षेत्रों में गुणस्थानों का वर्णन भरत, ऐरावत के ५-५ आर्यखंडों में जघन्य रूप से मिथ्यात्व गुणस्थान और उत्कृष्ट रूप से कदाचित चौदह गुणस्थान तक पाये जाते हैं। पाँच विदेहों के १६० आर्यखंडों में जघन्य रूप से ६ गुणस्थान तथा उत्कृष्ट रूप से १४ गुणस्थान पाये जाते हैं। सब भोगभूमिजों में ४ गुणस्थान तक…
मनुष्यों का अस्तित्व कहाँ तक है? जम्बूद्वीप, धातकीखंड और अर्ध पुष्कर द्वीप ऐसे ढाई द्वीप और लवणसमुद्र, कालोद समुद्र इन दो समुद्रों के भीतर मानुषोत्तर पर्वत पर्यंत ही मनुष्य पाये जाते हैं अत: इस ४५००००० लाख योजन प्रमाण व्यास वाले क्षेत्र को ‘मानुष क्षेत्र’ कहते हैं एवं इस मानुषोत्तर पर्वत के आगे मनुष्य नहीं जा…
पुष्करार्द्ध द्वीप का वर्णन इस द्वीप में मानुषोत्तर पर्वत बीचों-बीच में वलयाकार सदृश है इससे पुष्कर द्वीप के दो भाग हो गए हैं। अत: मानुषोत्तर पर्वत के इधर के अर्ध भाग को पुष्करार्ध कहा गया है।इस पुष्करार्ध में भी धातकी खंड के सदृश दक्षिण-उत्तर भाग में दो इष्वाकार पर्वत हैं जो कि आयाम में दुगने…
पुष्कर द्वीप एवं मानुषोत्तर पर्वत का वर्णन इस कालोदधि समुद्र को वेष्टित करके १६ लाख योजन विस्तृत पुष्कर द्वीप है। कालोदधि समुद्र की जगती से चारों ओर ८ लाख योजन जाकर मानुषोत्तर पर्वत उस द्वीप को सब तरफ से वेष्टित किये हैं। इस पर्वत की ऊँचाई १७२१ योजन और नींव ४३० योजन १ कोस प्रमाण…
कालोदधि समुद्र का वर्णन इस धातकीखंड द्वीप को चारों तरफ से वेष्टित करके ८ लाख योजन विस्तृत मंडलाकार रूप से कालोदधि नामक समुद्र है। टांकी से उकेरे हुये के सामन आकार वाला यह समुद्र सर्वत्र १००० योजन गहरा, चित्रापृथ्वी के उपरिम तलभाग के सदृश-समतल और पातालों से रहित है। इस समुद्र के भीतर दिशाओं, विदिशाओं…
विदेह का वक्षार, विभंगा नदियाँ और क्षेत्रों का विस्तार वक्षार पर्वत १००० योजन विस्तृत हैं। नदी के पास ५०० योजन एवं निषध नील के पास ४०० योजन ऊँचे हैं। इन पर चार-चार कूट हैं। विभंगा नदी २५० योजन विस्तृत है। विदेह के प्रत्येक क्षेत्र का विस्तार ९६०३-३/८ योजन है। देवारण्य भूतारण्य वनों का विस्तार ५८४४…
धातकी वृक्ष धातकी द्वीप के भीतर उत्तकुरु देवकुरु क्षेत्रों में ‘धातकी वृक्ष’ (आंवले के वृक्ष) स्थित हैं, इसी कारण इस द्वीप का ‘धातकी खंड’ यह सार्थक नाम है। उन धातकी वृक्षों पर सम्यक्त्वरत्न से संयुक्त उत्तम विभूषणों से विभूषित ‘प्रियदर्शन’ और ‘प्रभास’ नामक दो अधिपति देव निवास करते हैं। इन दोनों के परिवार देव आदर-अनादर…
गजदंत का वर्णन अभ्यंतर भाग में चारों गजदंतों की लंबाई ३५६२२७ योजन है एवं बाह्य भाग में ५६९२५९ योजन है। ये पर्वत ५०० योजन विस्तृत हैं और मेरु के पास ५०० योजन ऊँचे तथा निषध, नील के पास ४०० योजन ऊँचे हैं। इनका बाकी वर्णन भी जम्बूद्वीप के गजदंतवत् है।