प्रथमकाल का वर्णन
प्रथमकाल का वर्णन सुषमासुषमा नामक प्रथम काल से उत्तम भोग भूमि की व्यवस्था रहती है। इस काल में वहाँ की भूमि रज, कण्टक, विकलत्रय से रहित होती है। वहाँ कल्हार, कमल आदि से मनोहर वापियाँ रत्नों की सीढ़ियों से सहित रहती हैं। भोगभूमिजनों के सुंदर भवन शय्या आसनों से रमणीय अनुपम हैं। वहाँ की पृथ्वी…