स्याद्धाद चक्र
स्याद्वाद चक्र अत्यंतनिशित धारं दुरासदं जिनवरस्य नयचक्रम्। खण्डयति धार्यमाणं मूर्धानं झटिति दुर्विदग्धानाम्। यह जिनेश्वर का स्याद्धाद चक्र (नयचक्र) महान कष्ट से प्राप्त होता है। इस चक्र की धार अत्यन्त पैनी होती है। इसको धारण करने वाला अत्यन्त शीघ्र मिथ्याज्ञान के अहंकार युक्त व्यक्तियों के मस्तक को विदीर्ण कर देता है। अर्थात यह उनके मिथ्याज्ञान क्षय…