तीन चौबीसी पूजा
तीन चौबीसी पूजा स्थापना गीता छंद मंगलमयी सब लोक में, उत्तम शरण दाता तुम्हीं। वर तीन चौबीसी जिनेश्वर, तीर्थकर्ता मान्य ही।। इस भरत में ये भूत संप्रति, भावि तीर्थंकर कहे। आह्वान करके जो जजें, वे स्वात्मसुख संपति लहें।।१।। ॐ ह्रीं भूतवर्तमानभविष्यत्-द्वासप्ततितीर्थंकरसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं भूतवर्तमानभविष्यत्-द्वासप्ततितीर्थंकरसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…