जैन शासन मे यन्त्र विद्या
जैन शासन मे यन्त्र विद्या —गणधर मुनि १०८ श्री कुन्थुसागजी ‘ (स्व० आचार्य १०८ श्री महावीरकीर्तिजी के शिष्य)’ द्वादशांग वाणी के अन्तर्गत दृष्टिवाद अङ्ग के पूर्वरूप चौदह भेदों में ‘विद्यानुवाद’ नामक पूर्व कहा गया है, उसी विद्यानुवाद पूर्व से निस्सरित विद्या , मंत्र और यंत्र विधान है। विद्या—जिस मंत्र की अधिष्ठातृ देवी हों, मंत्र—जिसका अधिष्ठाता…