सीता द्वारा रावण और लक्ष्मण को सम्बोधन (२८०)सबके आगामी भव सुनकर,सीतेन्द्र हृदय था हरषाया।इक दिन रावण और लक्ष्मण से,मिलने को उनका मन आया।।चलदिये नरक में रावण को , संबोधन करने तब देखा।बोले अब तो लड़ना छोड़ो, इसने ही तुम्हें यहाँ भेजा।। (२८१)उनने पूछा हैं आप कौन ? और यहाँ किसलिए आए हैं ?अपना परिचय देकर…
श्रीराम का मोक्षगमन (२८६)आगे अब सुनो रामप्रभु की, आयु सत्तरह हजार वर्षों की थी।पच्चीस वर्ष तक योगि रहे, फिर घाते कर्म अघाति भी।।श्री रामचंद्र भगवान पुन:, इस जग में कभी न आयेंगे।उनके आदर्श सभी जन को, युग—युग तक याद दिलायेंगे।। (२८७)हैं बीते वर्ष हजारों पर, हर वर्ष दशहरा आता है।मर्यादाशील रामप्रभु की, जीवनगाथा दुहराता है।।ये…
श्री राम मुनि को केवल ज्ञान (२७३)प्रिय सुनो राम के उसी समय,सब घातिकर्म थे क्षार भये।प्रभु केवलज्ञान हुआ सुनकर, इंद्रों के आसन कांप गए।।आ करके रच दी गंधकुटी, नभ में ही अधर रहा करती।बारह कोठों में ऋषिमुनि और,सुरनर किन्नरियाँ आ बैठीं।। (२७४)सीतेन्द्र व्यथित हो बार—बार,झुक करके क्षमा याचना की ।हे नाथ! किया दुर्बुद्धिवश, सन्मति दे…
सीता ने मुनिरामचन्द्र को विचलित करने का प्रयास किया (२७०)कई वर्षों तक श्री रामचंद्र, मुनि वन में सुनो विहार किया।फिर कोटिशिला पर जाकर के, निजयोगलीन हो ध्यान किया।।सीता ने जाकर स्वर्गों में, निज अवधिज्ञान से ये जाना।श्री रामचंद्र हैं ध्यानरूढ़, तब उनका मन भी ना माना।। (२७१)सोचा यदि विचलित कर दूँ मैं, तो मोक्ष नहीं…
अंतिम उद्गार (२९०)श्री रामचंद्र जी का जीवन, वैसे तो बड़ा प्रभावी है।लेकिन सीता की त्यागमयी, जीवन गाथा ही काफी है।।वैसे तो इस रामायण पर, सीता का नाम लिखा जाता।तब इतना दुख सहने वाली,सीता पर न्याय किया जाता।। (२९१)हर युग में पुरुष प्रधान रहा, इतिहास उठाकर यदि देखें।वरना क्या हक था रामचंद्र को, अग्नि परीक्षायें लेते…
रामचन्द्र को वास्तविकता का बोध हुआ (२६०)आवरण मोह का हटा देख, उनने निज रूप दिखाया था।परिचय जब पूछा रघुवर ने, तब सबकुछ उन्हें बताया था।।हे नाथ! जटायू पक्षी हम, और ये है सेनापति नाथ।इतने दिन से विपत्ति प्रभू पर, हमको ना हो सका ज्ञात।। (२६१)जब कर्मोदय से हे रघुवर! आया विपत्ति का अंतसमय।अनजानी शक्ती ने…
राम—लक्ष्मण के प्रेम की परीक्षा (२४७)इक दिन सुरपुर में इन्द्रों ने, दोनों की बहुत बड़ाई की।ना भ्रातप्रेम इनसा जग में, कह—कहकर बहुत दुहाई दी।।यह सुनकर देवों ने सोचा, चल करके करें परीक्षा हम ।देखें हम भी तो जा करवे, कितना इनकी बातों में दम।। (२४८)आ करके राजभवन में फिर, माया से रुदन मचाया था।मायानिर्मित मंत्रीगण…
श्रीराम का लक्ष्मण के प्रति अतिमोह (२५१)श्रीरामचंद्र आकर बोले, क्यों इसको मृत बतलाते हो।हे भाई! मुझसे बात करो, क्यों मुझको यूँ तड़पाते हो।।यह कहकर कभी लगे रोने, और कभी उसे नहलाते हैं।और कभी वस्त्र पहनाते हैं, तो भोजन कभी खिलाते हैं।। (२५२)यह दृश्य देखकर लवकुश ने,उन्हें बार—बार समझाया था।पर आखिर हार गये जब वे, दीक्षा…
पावापुर- बिहार प्रान्त में नालन्दा ज़िले में भगवान महावीर की निर्वाणभूमि पावापुर है ।