पं. भूधरदासकृत स्तुति
पं. भूधरदासकृत स्तुति अहो! जगतगुरु देव, सुनियो अरज हमारी। तुम हो दीनदयालु, मैं दुखिया संसारी।।१। इस भव वनके माहिं, काल अनादि गमायो। भ्रमत चहूँगति माहिं, सुख नहिं दु:ख बहु पायो।।२।। कर्म महारिपु जोर, एक न कान करैं जी। मन मान्या दु:ख देहिं, काहूसों नाहिं डरै जी।।३।। कबहूँ इतर निगोद, कबहूँ नर्क दिखावें। सुर-नर-पशुगति माहिं, बहुविधि...