ज्ञानकल्याणक गीत
ज्ञानकल्याणक गीत तर्ज-माई रे माई........... आओ रे आओ खुशियाँ मनाओ, उत्सव सभी मनावो। प्रभु को केवलज्ञान हुआ है, समवसरण रचवाओ।। बोलो रे जय जय जय.................। पुरिमतालपुर के उपवन में, ज्ञान हुआ जब प्रभु को। इन्द्राज्ञा से धनपति ने, रच डाला समवसरण को।। नभ में अधर विहार करें वे.......... नभ में अधर विहार करें वे, दर्शन...