05. पंचवर्णी ह्रीं में चौबीस तीर्थंकर विराजमान हैं
पंचवर्णी ह्रीं में चौबीस तीर्थंकर विराजमान हैं पंचवर्णी ‘ह्रीं’ बीजाक्षर के जाप्य से, ध्यान से व पूजन से सर्वमनोरथ सफल होते हैं, सर्वरोग, शोक व भूतप्रेत आदि की बाधायें भी दूर हो जाती हैं, यह अतिशयकारी मंत्र है। इस ‘ह्रीं’ बीजाक्षर में चौबीसों तीर्थंकर विराजमान हैं। ह्रीं की प्रतिमा बनवाकर प्रतिष्ठित कराकर मंदिर में विराजमान…