वीर जन्मभूमि-एक चिंतन -डॉ. अभयप्रकाश जैन, ग्वालियर कुण्डलपुर (नालंदा) भगवान महावीर की जन्मभूमि है-पावन धरा है। यहाँ नंद्यावर्त महल है-यहाँ एक विशाल जैन मंदिर, दिव्य विरासत और वर्तमान वास्तुकला का जीवित आदर्श है। आओ, इसे नमन करें। यहाँ आकर समस्त विकारों का शमन हो जाता है। यह स्थान संतुलन बोध का प्रत्यक्ष साक्षी है। यहाँ…
‘कुण्डलपुर के महावीरा ! शतश: वंदन’ -सौ. समीक्षा नांदगांवकर, नागपुर (महा.) भारत की पुण्यभूमि में यहाँ की मिट्टी को चंदन जैसा गौरव प्रदान करने के लिए महावीर भगवान का जन्म हुआ था। पहली बार प्राणीमात्र में समता, दया, ममता और अहिंसा का भाव निर्माण करने के लिए महावीर भगवान का आगमन हुआ था। ‘जिओ और…
प्रश्न भगवान महावीर की जन्मस्थली का (जनवरी २००३ में प्रस्तुत) -माणिकचंद जैन पाटनी, इंदौर क्यों जैन अनुयायी जैनेतर एवं विदेशी विद्वानों के कथनों का अनुसरण बिना अपना दिमाग लगाये करने लगे? जो जैनेतर व विदेशी जैन धर्म के मर्म को नहीं जानते, जैन शास्त्रों के बारे में जो पूर्णत: अनभिज्ञ हैं वे बताते हैं कि…
‘जो भी बोलूँगा सच-सच बोलूँगा, सच के सिवाय कुछ नहीं बोलूँगा’’ (तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ प्रयाग-इलाहाबाद में आयोजित कुण्डलपुर राष्ट्रीय महासम्मेलन के अवसर पर २० अक्टूबर २००२ को प्रस्तुत) -प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन, फिरोजाबाद (अध्यक्ष-अ.भा.दि. जैन शास्त्री परिषद्) मेरी यह मान्यता है कि हर क्षेत्र का विकास होना चाहिए। वैशाली का भी विकास हो और कुण्डलपुर…
हमारी आस्था में बसा कुण्डलपुर -डॉ. (श्रीमती) कृष्णा जैन, ग्वालियर भारतीय संस्कृति में तीर्थों का बड़ा महत्व है। प्रत्येक धर्म के अनुयायी अपने तीर्थों की वंदना यात्रा के लिए भक्तिभाव से जाते हैं। जैनधर्म में तीर्थों का विशेष महत्व रहा है। तीर्थ स्थान पवित्रता, शान्ति और कल्याण के धाम माने जाते हैं। जैन धर्मावलम्बी प्रतिवर्ष…
महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर थी, है और रहेगी (जुलाई २००२ में प्रस्तुत) -प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन, फिरोजाबाद (अध्यक्ष-अ.भा.दि. जैन शास़्त्री परिषद) इतिहास अतीत के अवलोकन का एक माध्यम है। अतीत का स्वरूप परोक्ष और वर्तमान का प्रत्यक्ष है। परोक्ष की प्रत्यक्ष के रूप में प्रस्तुति एक कठिन कार्य है। वक्त के साथ लोगों के नजरिए बदल…
वैशाली स्मारिका-२००२ दिगम्बर है या श्वेताम्बर? (जुलाई २००२ में प्रस्तुत) -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती माताजी पिछले लगभग २५ वर्षों से जैन समाज जहाँ साहित्य प्रकाशन एवं धर्मप्रभावना के क्षेत्र में काफी बढ़-चढ़कर आगे आया है, वहीं तेजी से दिगम्बर जैन साहित्य में विकार भी आया है। आधुनिक लेखक और साहित्यकार अपने शोधपरक अध्ययन वाले लेखन में…
कुण्डलपुरी जन्मस्थली परंपरा मान्य है -डा. अभयप्रकाश जैन, ग्वालियर‘ भ. महावीर की जन्मस्थली के संदर्भ में आगम परम्परा और विश्वास के अलावा इतिहास एवं पुरातत्व का पक्ष प्रायः विपर्ययवाची माना जाने लगा है। उनका उपयोग दो विपरीत धु्रवीय संप्रत्ययों के रूप में किये जाने की मुहिम है। आगम परम्परा का जड़ और विकासवादी प्रवृत्ति को…
मानचित्र में परिवर्तन : एक बचकाना प्रयास कम नहीं होगा इससे कुण्डलपुर का गौरव -प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन, फिरोजाबाद (जून २००२ में प्रस्तुत) जैन समाज में कोई या कैसा भी विवाद, चाहे वह सैद्धान्तिक हो या भौगोलिक, एक बार उत्पन्न हो जाए तो उसका समाधान नहीं निकल पाता। आज तक मूल आम्नाय या सोनगढ़ पक्ष अथवा…