दीक्षाकल्याणक वन्दना
दीक्षाकल्याणक वन्दना सोरठा नित्य निरंजन देव, परमहंस परमातमा। करूँ चरण की सेव, तुम गुणमाला गायके।।१।। नरेन्द्र छंद चिन्मय ज्योति चिदंबर चेतन, चिच्चैतन्य सुधाकर। जय जय चिन्मूरत चिंतामणि, चितितप्रद रत्नाकर।। जब तुमको वैराग्य प्रकट हो, सुरपति आसन कंपे। लौकांतिक सुरगण भी आते, पुष्पांजलि को अर्पें।।२।। तीर्थंकर भगवान स्वयं ही दीक्षा लेते वन में। सिद्धों की साक्षी...