उत्तर प्रदेश के अतिशय क्षेत्र!
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(कवि भूधरदास द्वारा रचित) अनित्य राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार।मरना सबको एक दिन, अपनी अपनी बार।।१।। अशरण दलबल देवी देवता, मात पिता परिवार।मरती विरियाँ जीव को, कोई न राखनहार।।२।। संसार दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णावश धनवान।कहूँ न सुख संसार में, सब जग देख्यौ छान।।३।। एकत्व आप अकेला अवतरे, मरे अकेला होय।यों कबहूँ या जीव…
साधक की शरीर के प्रति दृष्टि हमारी शरीर के प्रति कैसी दृष्टि होनी चाहिए— इस विषय में बहुत कम लोग चिन्तन करते हैं। प्राय: साधक देह के मोह में फंस जाया करते हैं। शरीर पर इतना मोह क्यों है ? प्रश्न है कि जीव से शरीर पूर्ण होता है या जीव के बिना ? कुछ…
कैसे करे व्यक्तिव का विकास आस्था — विश्वास का आधार : स्वाध्याय हमने यह जाना है कि स्वाध्याय जानने अथवा ज्ञान का अमोघ साधन तो है ही, इससे हमारी मान्यता अथवा विश्वास भी निर्मल और दृढ़ हो जाता है। अपूर्ण और संशय—युक्त विश्वास हमारे पतन का कारण बन जाता है। जो बात हम किसी महापुरूष…
पंचामृत अभिषेक पाठ (श्री पूज्यपाद आचार्य विरचित) (भावानुवादकत्र्री-आर्यिका ज्ञानमती) शंभुछंद अर्हंत देव को प्रणमन कर, जल से स्नान कर शुद्ध हुआ। सन्मंत्रस्नान व्रतस्नान कर, जिन गंधोदक से शुद्ध हुआ।। आचमन अर्घ कर धुले धवल, धोती व दुपट्टे को पहने। जिनमंदिर की त्रय प्रदक्षिणा कर, नमूँ शीश नत विधिवत् मैं।।१।। जिनगृह के द्वार खोल वेदी का,…