अहिंसक :!
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == अहिंसक : == मरदु व जियदु व जीवो, अयदाचारस्स णिच्छिदा हिंसा। पयदस्स णत्थि बंधो, िंहसामेत्तेण समिदस्स।। —प्रवचनसार : ३-१७ ८०३ बाहर से प्राणी मरे या जीये, अयतनाचारी—प्रमत्त को अंदर से हिंसा निश्चित है। परन्तु जो अिंहसा की साधना के लिए प्रयत्नशील है, समिति वाला है, उसको बाहर में प्राणी की िंहसा होने…