आइये कुछ हटकर सोचें, और स्वयं निर्धारण करें, कि अगले भव में हम क्या बनना चाहते हैं
आइये कुछ हटकर सोचें, और स्वयं निर्धारण करें, कि अगले भव में हम क्या बनना चाहते हैं संसारी जीव अनादिकाल से स्वयं के किये हुए कर्मों से बंधा है और अपने जीव के स्वभाव से अलग थलग हो, कर भ्रमण कर रहा है, स्वयं की अज्ञानता के कारण, और नही जानता कि वह कौन—कौन से…