नंदीश्वर स्तुति
नंदीश्वर स्तुति चिन्मूरति परमात्मा, चिदानंद चिद्रूप।प्रणमूं भक्ती से सतत, स्वल्पज्ञान अनुरूप।।१।। चाल-शेर जय आठवाँ जो द्वीप नाम नंदिश्वरा है। जय बावनों जिनालयों से पुण्यधरा है।। जय एक सो त्रेसठ करोड़ लाख चुरासी। विस्तार इतने योजनों से द्वीप विभासी।।२।। चारों दिशा के बीच में अंजन गिरी कहे। जो इंद्रनील मणिमयी रत्नों से बन रहे।। चौरासी सहस...