मुनिधर्म (सराग चारित्र)
[[श्रेणी:कुन्दकुन्द_वाणी]] मुनिधर्म (सराग चारित्र) संकलनकर्त्री- गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी हिन्दी पद्यानुवादकर्त्री- आर्यिका चंदनामती बारह अनुप्रेक्षा अद् ध्रुवमसरणमेगत्त-मण्णसंसारलोगमसुचित्तं। आसवसंवर णिज्जर, धम्मं बोिंह च चितेज्जो।।।। (द्वादशानुप्रेक्षा गाथा-२) -शंभु छन्द- अध्रुव अशरण एकत्व और, अन्यत्व तथा संसार लोक। अशुचित्व तथा आश्रव संवर, निर्जरा धर्म अरु ज्ञान बोध।। इन द्वादश अनुप्रेक्षाओं का, चिंतन साधु जो करते हैं। उनकी आत्मा…