उत्तम मार्दव धर्म के मुक्तक मृदुता का भाव कहा मार्दव, यह मान शत्रु मर्दनकारी। यह दर्शन ज्ञान चरित्र तथा, उपचार विनय से सुखकारी।। मद आठ जाति, कुल आदि हैं, क्या उनसे सुखी हुआ कोई। रावण का मान मिला रज में, यमनृप ने सब विद्या खोई।।१।। था इन्द्र नाम का विद्याधर, वह इन्द्र सदृश वैभवशाली। रावण…
उत्तम आकिंचन्य धर्म के मुक्तक निंह किंचित् भी तेरा जग में, यह ही आविंâचन भाव कहा। बस एक अकेला आत्मा ही, यह गुण अनन्त का पुँज अहा।। अणुमात्र वस्तु को निज समझें, वे नरक निगोद निवास करें। जो तन से भी ममता टारें, वे लोक शिखर पर वास करें।।१।। जमदग्नि मिथ्या तापस ने, निज ब्याह…
उत्तम त्याग धर्म के मुक्तक उत्तम त्याग कहा जग में, जो त्यागे विषय कषायों को। शुभ दान चार विध के देवें, उत्तम आदि त्रय पात्रों को।। आहार सुऔषधि ज्ञान दान, और अभय दान उत्तम सबमें। नृप वज्रजंघ और श्रीमती, आहार दान से पूज्य बने।।१।। नृप वृषभ हुए श्रीमती तभी श्रेयांस हुए जग में वंदित। श्रीकृष्ण…
उत्तम शौच धर्म के मुक्तक शुचि का जो भाव शौच वो ही, मन से सब लोभ दूर करना। निर्लोभ भावना से नित ही, सब जग को स्वप्न सदृश गिनना।। जमदग्नि ऋषि की कामधेनु, हर ली वह कार्तवीर्य लोभी। बस परशुराम ने नष्ट किया, क्षत्रिय कुल सात बार क्रोधी।।१।। तनु इन्द्रिय जीवन औ निरोग, के लोभ…
क्षमा वीरस्य भूषणं —प्रो. डॉ. विमला जैन ‘विमल’, फिरोजाबाद उत्तम क्षमा की अमिथ धार से, क्रोध ताप मिट जाता है, तब क्रोध विभाव विलीन हुआ, शुद्धात्म कमल खिल जाता है। इस कोप कषाय की अग्नि से, द्वीपायन मुनि तप तेज गया, द्वारिका संग जन—धन नाशे, इहलोक और परलोक गया। संयम—तप क्षमा की ज्योति है, ज्योतिर्मय…
विनोबा भावे पर जैनधर्म का प्रभाव (१८९५—१९८२) आचार्य विनोबा भावे जैन—दर्शन की सल्लेखना के महत्त्व से परिचित थे। भगवान् महावीर स्वामी के २५०० वें निर्वाण महोत्सव वर्ष में बाबा को चिन्ता हुई कि जैनधर्म का साहित्य विपुल और विशाल है और तीर्थंकरों की वाणी प्राकृत भाषा में निबद्ध है और जैन दर्शन का सार प्रस्तुत…
विश्व कोशों की परम्परा में अद्वितीय जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश 1-जैन दर्शन के प्रखर तत्त्ववेत्ता क्षुल्लक जिनेन्द्रवर्णी द्वारा पाँच भागों में लिखित—संकलित जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश की रचना की गई। 2-शब्दकोश एवं विश्व कोशों की परम्परा में एक अपूर्व एवं विशिष्ट कृति है। 3-इसमें जैन तत्त्व का ज्ञान, आचारशास्त्र, कर्मसिद्धान्त, खगोल—भूगोल, पौराणिक चारित्र, ऐतिहासिक व्यक्ति, राजपुरुष, आगम,…