25. सप्तपरम स्थान
#सज्जाति #, सद्गृहस्थता (श्रावक के व्रत),
# पारिव्राज्य (मुनियों के व्रत) # सुरेन्द्रपद
# साम्राज्य (चक्रवर्ती पद) # अरहंत पद
# निर्वाण पद
ये सात परम स्थान कहलाते हैं। सम्यग्दृष्टि जीव क्रम-क्रम से इन परम स्थानों को प्राप्त कर लेता है।
इन्हें कर्तृन्वय क्रिया भी कहते हैं।