नारायण श्रीकृष्ण और मयूरपिच्छ
नारायण श्रीकृष्ण और मयूरपिच्छ नारायण श्रीकृष्ण का जैनग्रंथ में स्वरूप ‘सुपीतवासोयुगलं वसानं वनेवतंसीकृतवर्हिर्वहम्। अखण्डनीलोत्पलमुण्डमालं सुकण्ठिकाभूषितकम्बुकण्ठम्।।’ (हरिवंशपुराण, आचार्य जिनसेन, ३५/५५/४५५, ई. ७८३) अर्थ — जो पीले रंग के दो वस्त्र पहने हुए थे, वन के मध्य में मयूर—पिच्छकी कलंगी लगाये हुए थे, अखण्ड नील कमल की माला जिनके गले में भी, जिनका शंख के समान सुन्दर…