02. उत्तम मार्दव धर्म विवेचन
उत्तम मार्दव धर्म श्री रइधू कवि ने अपभृंश भाषा में मार्दव धर्म के विषय में कहा है मद्दउ—भाव—मद्दणु माण—णिंकदणु दय—धम्महु मूल जि विमलु।सव्वहं—हययारउ गुण—गण—सारउ तिसहु वउ संजम सहलु।।मद्दउ माण—कसाय—बिहंडणु, मद्दउ पंचिंदिय—मण—दंडणु।मद्दउ धम्मे करुणा—बल्ली, पसरइ चित्त—महीह णवल्ली।।मद्दउ जिणवर—भत्ति पयासइ, मद्दउ कुमइ—पसरूणिण्णासइ।मद्दवेण बहुविणय पवट्टइ—मद्दवेण जणवइरू उहट्टइ।।मद्दवेण परिणाम—विसुद्धी, मद्दवेण विहु लोयहं सिद्धी।मद्दवेण दो—विहु तउ सोहइ, मद्दवेण णरु जितगु…