कहीं आपको नजर तो नहीं लगी!
कहीं आपको नजर तो नहीं लगी आज व्यक्ति दृष्टि को नहीं सृष्टि को बदलना चाहता है, किन्तु सृष्टि को आजतक न तो कोई बदल सका है और न कोई बदल सकेगा। सृष्टि, दृष्टि पर आधारित है। दृष्टि सम्यक है तो सृष्टि भी सम्यक होगी और मिथ्या दृष्टि के लिये तो सृष्टि भी मिथ्या ही होती…