काली मिर्च से सुधरता है पाचन मक्खियों के बचाव के लिए किसी बर्तन में एक चम्मच मलाई व आधा चम्मच काली मिर्च मिलाकर रख देने से मक्खियां भागने लगेंगी। रात को आधा चम्मच पिसी काली मिर्च एक कप दूध में डालकर उबालें। इस तरह तीन दिन तक बनाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता…
एक्ज़िमा (ECZIMA) एक्ज़िमा एक प्रकार का चर्म रोग है जिसमें रोगी की स्थिति अति कष्टपूर्ण होती है” इस रोग की शुरुआत में रोगी को तेज़ खुजली होती है तथा बार-बार खुजाने पर उसके शरीर में छोटी- छोटी फुंसियां निकल आती हैं ” इन फुंसियों में भी खुजली और जलन होती है तथा पकने पर उनमें…
खान-पान की अशुद्धि चिंता का विषय -निर्मल जैन, सतना (म.प्र.) जैन समाज में खान-पान की शुद्धि पर विशेष ध्यान हमेशा से दिया जाता रहा है। खान-पान की शुद्धि जैनत्व की पहचान रही है। हमारे आचार्यों ने श्रावकाचार ग्रंथों के माध्यम से हमें श्रावक बनाये रखने का भरपूर प्रयास किया है। परन्तु अब मर्यादायें टूटती जा…
कल्याण मंदिर व्रत विधि कल्याण मंदिर स्तोत्र भगवान पार्श्वनाथ का स्तोत्र है। इसमें भी आदि में कल्याणमंदिरमुदारमवद्य ‘कल्याण मंदिर’ पद आ जाने से इसका कल्याणमंदिर स्तोत्र यह सार्थक नाम हो गया है। इसमें ४४ काव्य हैं अत: ४४ व्रत किये जाते हैं। व्रत के दिन श्री पार्श्वनाथ का अभिषेक करके कल्याण मंदिर यंत्र का भी…
हस्तिनापुर का संक्षिप्त कथानक आदिनाथ का आदि में, हुआ यहाँ आहार। हस्तिनागपुर में किया, देवों ने जयकार।।१।। शान्ति, कुंथु, अरनाथ त्रय-तीर्थंकर चव्रेश। गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान से, किया पवित्र स्वदेश।।२।। जयकुमार गणधर मुनी, चक्री सनत्कुमार। महापद्मचक्री मुनी, हुए भवोदधि पार।।३।। श्री अकंपन सूरि संघ, सात शतक मुनिराज। बलिकृत बहु उपसर्ग को, सहे सिद्धि के काज।।४।।…
कर्मों का विभाजन एवं भेद विज्ञान की लोकात्तरता कर्मों का विभाजन ‘कर्म’ के स्वभाव की अपेक्षा असंख्यात भेद हैं। अनन्तानन्त प्रदेशात्मक स्कन्धों के परिणमन की अपेक्षा कर्म के अनन्त भेद होते हैं। ज्ञानावरणादि अविभागी प्रतिच्छेदों की अपेक्षा भी अनन्त भेद कहे जाते हैं। इस कर्म की बन्ध, उत्कर्षण, संक्रमण, अपकर्षण, उदीरणा, सत्त्व, उदय, उपशम, निधत्ति,…
सूखे ठूंठ मे कोंपल (काव्य आठ से सम्बन्धित कथा) ‘‘आँख के अन्धे और नाम नयनसुख।’’ ‘‘जन्म के कंगाल पर नाम धनपाल!’’ आखिर नाम से कुछ बनता बिगड़ता तो है नहीं, फिर भी दैव के प्रति मानो वह एक चुनौती अवश्य होता है! अथवा होता है एक तीखा व्यंग! और इस प्रकार वह नाम ही कभी-कभी…