आचार्यश्री के अनुशासन
आचार्य श्री के अनुशासन (ज्ञानमती_माताजी_की_आत्मकथा) दूसरे दिन संघ की एक वृद्धा आर्यिका ने पूछा- ‘‘वीरमती! तुम प्रतिक्रमण करती हो?’’ मैंने कहा-‘‘हाँ माताजी! दोनों समय करती हूँ।’’ उस समय संघ में प्रातःकाल ही प्रतिक्रमण की पद्धति थी, सायंकाल में नहीं होता था। उन्होंने कहा-‘‘प्रातःकाल ७ बजे मेरे पास प्रतिक्रमण बोलना’’ मैंने प्रातःकाल उन्हीं के...