उत्तम त्याग धर्म श्री रइधू कवि ने अपभृंश भाषा में त्याग धर्म के विषय में कहा है चाउ वि धम्मंगउ तं जि अभंगउ णियसत्तिए भत्तिए जणहु।पत्तहं सुपवित्तहं तव—गुण—जुतहं परगइ—संबलु तुं मुणहु।।चाए अवगुण—गुण जि उहट्टइ, चाए णिम्मल—कित्ति पवट्टइ।चाए वयरिय पणमइ पाए, चाए भोगभूमि सुह जाए।।चाए विहिज्जइ णिच्च जि विणए, सुहवयणइं भासेप्पिणु पणए।अभयदाणु दिज्जइ पहिलारउ, जिमि…