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encyclopedia-जैन धर्म के ज्ञान का महासागर है”इसे wikipedia के तर्ज पर बनाया गया है”इसमें कोई भी जैन व्यक्ति स्वतन्त्र रूप से अपना योगदान दे सकत है”
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निर्ग्रन्थ मुनि-इनके २८ मूलगुण होते है,आरंभ और परिग्रह से रहित होते है,और ज्ञान,ध्यान में हमेशा लीन रहते है”वे मुनि- निर्ग्रन्थ मुनि कहलाते है”
जो पर्व किसी के द्वारा शुरू नहीं किये जाते हैं ,प्रत्युत अनादिकाल से स्वयं चले आ रहे हैं और अनंतकाल तक चलते रहेंगे वे अनादिपर्व कहे जाते हैं ।
जो पर्व किन्हीं महापुरुषों की स्मृति में प्रारंभ होते हैं , वे सादिपर्व होते हैं ।
आँखों की रोशनी गुहेरी – आंख की पलक पर फुंसी हो जाती है इसे गुहेरी कहते हैं। फुंसी उठते ही पिसी हल्दी घी में मिलाकर सोते समय इसे सिर्फ फुंसी पर अनामिका अंगुली से लगाकर सो जायें सुबह फुंसी गायब। रतौंधी — गाय का ताजा गोबर, सूर्योदय होते समय या इससे पहले, मोटे कपड़े पर…
भद्रशालवन के जिनमन्दिर (सिद्धान्तसार दीपक से) अथ मेरोश्चतुर्दिक्षु भद्रशालवनस्थितान्। वर्णयामि मुदोत्कृष्टांश्चतुरः श्रीजिनालयान्।।६।। …
भवनवासी देवों के भवनों में चैत्यवृक्ष एवं जिनमन्दिर तेसिं चउसु दिसासुं जिणदिट्ठपमाणजोयणे गंता। …
पूज्य माताजी की संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों का परिचय लेखिका-श्रीमती त्रिशला जैन, लखनऊ ब्र. कु. बीना जैन कु. बीना का जन्म कानपुर (उ.प्र.) में १५ दिसम्बर १९६९ में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती कूमुदनी देवी और पिता का नाम स्व. श्री प्रकाशचंद जैन है। यह आपका सौभाग्य ही है कि आपको विरासत में ही धर्म…