जम्बूद्वीप के मध्यलोक में असंख्यातों द्वीप समुद्र हैं, इनमें सबसे पहला द्वीप जम्बूद्वीप हैं | इसमें 7 क्षेत्र हैं, 6 पर्वत हैं, 6 सरोवर हैं | इन सरोवरों में रत्नमयी पृथिवीकायिक कमल हैं | इन कमलों पर श्री, ह्री आदि देवियाँ निवास करती हैं | इन देवियों के भवनों में रत्नों से निर्मित जिनमन्दिर हैं | इन सभी परिवार कमलों के ऊपर भी जिनभवन बने हुए हैं | इन सबमें जिनप्रतिमाएं विराजमान हैं |
उत्तम त्याग धर्म श्री रइधू कवि ने अपभृंश भाषा में त्याग धर्म के विषय में कहा है चाउ वि धम्मंगउ तं जि अभंगउ णियसत्तिए भत्तिए जणहु।पत्तहं सुपवित्तहं तव—गुण—जुतहं परगइ—संबलु तुं मुणहु।।चाए अवगुण—गुण जि उहट्टइ, चाए णिम्मल—कित्ति पवट्टइ।चाए वयरिय पणमइ पाए, चाए भोगभूमि सुह जाए।।चाए विहिज्जइ णिच्च जि विणए, सुहवयणइं भासेप्पिणु पणए।अभयदाणु दिज्जइ पहिलारउ, जिमि…
कर्मव्यवस्था पर टिका है जैन सिद्धान्त प्रस्तुति- आर्यिका चंदनामती संसार और मोक्ष की समस्त व्यवस्था कर्म के आधीन है। जिस सृष्टि की रचना में लोक परम्परानुसार ब्रह्माजी को कर्तारूप में माना जाता है, जैन सिद्धान्त के अनुसार वह ब्रह्मा और कोई नहीं, कर्म ही है। आचार्य श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती ने कहा भी है— देहोदयेण सहिओ…