गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय चरणानुयोग (पूजा/विधान साहित्य) ७६. मूलाचार पूर्वार्ध- लेखन प्रारंभ वीर सं. २५०३, सन् १९७७, हस्तिनापुर प्राचीन मंदिर। प्रथम संस्करण-वीर सं. २५१०, सन् १९८४, पृष्ठ संख्या ५०४ है। ७७. मूलाचार उत्तरार्ध –लेखन समापन-वीर सं. २५०४, वैशाख वदी तीज (अक्षय तृतीया), बुधवार सन् १९७८, हस्तिनापुर। प्रथम संस्करण-वीर सं. २५१२, सन् १९८६,…
पुण्य पर एक दृष्टि (जिनागम का प्राण उसकी स्याद्वाद दृष्टि है, जिसके द्वारा सत्यामुत की उपलब्धि होती है। पुण्य कर्म और पाप कर्म दोनों आत्मा के मोक्ष गमन में बाधक हैं। सिद्ध भगवान दोनों का नाश करते हैं। दूसरी अपेक्षा से पुण्य और पाप में कथंचित् भिन्नता है। पाप कर्म जीव के गुण का घात…
छोटी अजवाइन के बड़े — बड़े गुण किचन के प्रमुख मसालों में अजवाइन भी एक है। इसका स्वाद तीखा होता है । यह गरम व पित्तनाशक होती है। स्वाद बढ़ाने के साथ—साथ यह आपके हाजमे को भी ठीक रखती है। सब्जियों में तड़का लगाने, परांठे और अचार में स्वाद लाने के लिए इसका प्रयोग खूब…
श्रीनगर में पार्श्वनाथ का अतिशय —ब्र. कु. बीना जैन (संघस्थ) उद्दाम विरही ने सन् १८९४ में श्रीनगर को ध्वस्त कर दिया और इस ध्वंस-लीला से यह जैन तीर्थ भी नहीं बच पाया किन्तु प्रतिमाएँ सुरक्षित रहीं। स्व.लाला प्रतापसिंह जैन और स्व. लाला मनोहरलाल जैन के संयुक्त प्रयास से ध्वस्त मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। इस काल…
मध्यप्रदेश के सिद्ध क्षेत्र भूला बिसरा काम्पिल्य पांचाल प्राचीनकाल से ही प्रसिद्ध रहा है। यह इन्द्रप्रस्थ से तीस योजन दूरी पर कुरुक्षेत्र से पश्चिम और उत्तर में अवस्थित था। पांचाल जनपद तीन भागों में विभक्त था (१) पूर्व पांचाल, (२) उत्तर पांचाल, और (३) दक्षिण पांचाल। महाभारत के अनुसार दक्षिण और उत्तर पांचाल के बीच…
द्वादशानुप्रेक्षा (श्री अमृतचन्द्रसूरिविरचित तत्वार्थसार ग्रन्थ से) अनित्यं शरणाभावो भवश्चैकत्वमन्यता । अशौचमास्रवश्चैव संवरो निर्जरा तथा ।।२९।। लोको दुर्लभता बोधे: स्वाख्यातत्वं वृषस्य च । अनुचिन्तनमेतेषामनुप्रेक्षा: प्रर्कीितता: ।।३०।। अर्थ – अनित्यता अशरण संसार एकता अन्यता अशुचिता आस्रव संवर निर्जरा लोक बोधिदुर्लभता धर्म के स्वरूपवर्णन की श्रेष्ठता इन बारह विषयों के बार-बार चिन्तन करने को बारह अनुप्रेक्षा कहते हैं।…
तत्वार्थसूत्र व्रत विधि तत्वार्थसूत्र ग्रंथ जिसका दूसरा नाम मोक्षशास्त्र भी है, इसमें दश अध्याय हैं। दिगम्बर जैन परंपरा में संस्कृत भाषा में यह पहला सूत्रग्रंथ है। एक-एक अध्याय को आश्रित करके इसके १० व्रत किये जाते हैं। व्रत में भगवान का पंचामृत अभिषेक करके पूजन करें। सरस्वती प्रतिमा या श्रुतस्वंâध यंत्र या सरस्वतीयंत्र का पंचामृत…
नकली घी और नकली दूध नकली चीजों को असली कहकर और बढ़िया में घटिया चीज मिलाकर बढ़िया के नाम पर बेचना प्राचीनकाल से नैतिक अपराध माना जाता है। आजकल तो इसके खिलाफ कानून भी बन गये हैं नकली चीजों का प्रभाव जब देश की आर्थिक और शारीरिक अवस्था पर पड़ता है तो उसका परिणाम बड़ा…
नींद — हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग आज के वैज्ञानिक युग में जबकि मानव एक मशीन बन चुका है, दिन—रात के कठोर परिश्रम से उसे अच्छी नींद ही राहत दिला सकती है। चौबीस घंटों में हम एक तिहाई समय तक सोते रहते हैं। वैज्ञानिक अभी तक इसके बारे में कोई निश्चित बात नहीं कर पाये…