जैन वाङ्मय में पर्यावरण चेतना!
जैन वाङ्मय में पर्यावरण चेतना ‘‘परि + आ’ उपसर्ग युक्त ‘वृ’ धातु से ल्युट् प्रत्यय के योग से बने ‘पर्यावरण’ शब्द का तात्पर्य है चारों ओर का वातावरण। यह वातावरण अर्थात् पर्यावरण द्विविध है—भौतिक एवं आध्यात्मिक। भौतिक पर्यावरण अर्थात् प्राकृतिक वातावरण में भूमि, जल, वायु एवं वनस्पति आदि समाविष्ट हैं, जिनसे जीव मात्र की दैहिक…