राष्ट्र कल्याण में श्रावक की भूमिका!
राष्ट्र कल्याण में श्रावक की भूमिका जैन धर्मानुसार व्रतधारियों की दो कोटियाँ हैं— (१) महाव्रती—मुनि और (२) अणुव्रती श्रावक आचार्य उमास्वामी: तत्वार्थ सूत्र ७/२ श्रावक वह सद्गृहस्थ होता है जो सप्त व्यसनों का त्यागी, अष्ट मूलगुणधारी और पंच—अणुव्रतों का पालक होता है। उसका आचरण शास्त्र सम्मत एवं स्वपर हितैषी होता है। द्यूत, (जुआ खेलना), मांस…