पंचम काल में मुनियों का अस्तित्व!
पंचमकाल में मुनियों का अस्तित्व प्रस्तुति- पू० गणिनी ज्ञानमती माताजी अहो! दु:षमकालांतं श्रमणाश्चार्यिका इह ।विहरन्ति निराबाधं कुर्युस्ते ताश्च मंगलम्।।१।। अहो! प्रसन्नता की बात है कि इस भरतक्षेत्र में दु:षमकाल के अंत तक मुनि और आर्यिकायें निराबाध विहार करते रहेंगे। वे मुनि और आर्यिकायें सदा मंगल करें।ड निर्ग्रन्थ दिगम्बर मुनियों में जो जिनकल्पी और स्थविरकल्पी भेद…