श्री चन्दनामती माताजी की पावन रजत दीक्षा जयंती!
परमपूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चन्दनामती माताजी की पावन रजत दीक्षा जयंती पर उनके पावन चरणकमलों में सविनय सादर समर्पित भक्ति प्रसून ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ) …
परमपूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चन्दनामती माताजी की पावन रजत दीक्षा जयंती पर उनके पावन चरणकमलों में सविनय सादर समर्पित भक्ति प्रसून ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ) …
जैन सिद्धांत प्रवेशिका के अमर रचनाकार पंडित गुरू गोपालदास जी बरैया हिन्दी के शुरूआती माह चैत्र में हम याद कर रहे हैं पंडित गुरू गोपालदास जी बरैय्या को जो इसी माह में आगरा के श्री लक्ष्मणदास जी बरैय्या के घर पैदा हुए थे। पं. टोडरमलजी को ‘आचार्य कल्प’ तथा पं. बनारसीदास जी को ‘कविवर’ के…
कथा मोक्षमार्ग सम्प्रेरिका माता की रचियित्री—ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ) है धन्य धरा इस भारत की अरु गौरव है इस भूमी का, जहाँ की माटी के कण-कण में है एक अलौकिक रत्न छुपा। चेतन व अचेतन दोनों ही रत्नों का यहाँ भण्डार भरा, अब चेतन रत्न की बात सुनो, जिससे इस देश का गर्व बढ़ा।।१।।…
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की अमर वीरांगनाएं १८५७ में पहली बार पूरा देश विदेशी शक्ति के विरुद्व एकजुट होकर खड़ा हुआ। महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं रही। भारत को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने में महिलाओं ने भी पुरुषों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर संघर्ष किया। ऐसी अमर वीरांगनाओं के बलिदान और समर्पण भावना ने विदेशी…
अत्तिमब्बे डॉ. हंपा नागराजय्य अत्तिमब्बे ने धार्मिक कार्यों में बेशुमार धन बहाया। वह अपने पूर्वजों के रास्ते पर चली तथा उनसे भी श्रेष्ठ कार्य आपने किया। पूर्वजों से भी अधिक मात्रा में जैन धर्म की प्रभावना की आपकी श्रेष्ठता के बारे में रन्न कवि ने अपनी रचना में इस प्रकार लिखा है। पिरियं बूतुगं आतनिं…
अत्तिमब्बे डॉ. हंपा नागराजय्य कर्नाटक के इतिहास में दसवीं शताब्दी, सुवर्णयुग कहलाती है। राजकीय, साहित्य, संस्कृति, कला, धर्म इस प्रकार अनेक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण घटनाएं इसी समय में घटी हैं। गंग, राष्ट्रकूट, पश्चिम चालुक्यों के दो चक्रवर्ती इसी शताब्दी में विराजमान थे। इम्मड़ि बूतुग, मारसिंह, चावुंडराय ने गंगवंश को प्रज्वलित किया। मुम्मड़ि कृष्ण ने…
जैनाचार्यों की गौरवगाथा (१३०) महाकवि धनञ्जय — द्विसंधान महाकाव्य के अंतिम पद्य की व्याख्या में टीकाकार ने इनके पिता का नाम वसुदेव माता का नाम श्रीदेवी और गुरू का नाम दशरथ सूचित किया है। गृहस्थ धर्म और गृहस्थोचित षट्कर्मों का पालन करता था। इनके विषापहार स्तोत्र के सम्बन्ध में कहा जाता है कि कवि के…
जैनाचार्यों की गौरवगाथा (१२९) कवि परमेष्ठी या परमेश्वर— कवि परमेश्वर अपने समय के प्रतिभाशाली कवि और वाग्मी विद्वान् हैं। आपका स्मरण ९ वीं शती से लेकर १३ वीं शती के कन्नड़ कवि एवं संस्कृत कवि करते रहे हैं। आपने त्रिषष्टिशलाका पुरूषों के सम्बन्ध में एक पुराण लिखा था जिसका नाम वागर्थ संग्रह था। वर्तमान में…
पीठाधीश क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज की आरती रचयित्री-ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ) मोतीसागर महाराज. आज तेरी आरती उतारूँ आरती उतारूँ, तेरी आरती उतारूँ ।। पीठाधीश महाराज, आज तेरी आरती उतारूँ । मोतीसागर महाराज, आज तेरी आरती उतारूँ ।। टेक. ।। पिता अमोलक जी हरषाए, माँ रूपा धन्य भाग्य कहाए । नगरी सनावद महान, आज…
आर्यिकारत्न श्री अभयमती माताजी की आरती लेखिका – ब्र कु॰ : इन्दु जैन (संघस्थ) अभयमती माताजी की हम करें आरती आज. रत्नमयी दीपक ले आए शरणा तेरी आज ।। हो माता हम सब उतारें तेरी आरती – 2 ।। टेक. ।। पितु श्री छोटेलाल मोहिनी माँ से जन्म लिया है. ज्ञानमती माता सम भगिनी. का…