द्वात्रिंशतिका
द्वात्रिंशतिका (सामायिक भावना) श्री अमितगति आचार्य विरचित (हिन्दी अनुवाद—गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी) श्री अमितगति आचार्य के द्वारा बनायी गयी यह ‘द्वात्रिंशतिका स्तुति’ है। इसमें साम्यभाव, वैराग्यभाव और अध्यात्मभाव का अच्छा सम्मिश्रण है। जो पुरुष या स्त्री ,बाल या वृद्ध भगवान् के समक्ष बैठकर शांतचित्त से इसका अर्थ समझते हुए इसे पढ़ेंगे अथवा एकांत में या…