मूल जैन संस्कृति : अपरिग्रह!
मूल जैन संस्कृति : अपरिग्रह कहते हैं सत्य बड़ा कड़वा अमृत है। जो इसे हिम्मत करके एक बार पी लेता है वह अमर हो जात है और जो इसे गिरा देता है वह सदा पछताता है। हम एक ऐसा सत्य कहने जा रहे हैं। जिसे जन—मानस जानता है—मानता नहीं और यदि मानता है तो उस…