#सज्जाति #, सद्गृहस्थता (श्रावक के व्रत),
# पारिव्राज्य (मुनियों के व्रत) # सुरेन्द्रपद
# साम्राज्य (चक्रवर्ती पद) # अरहंत पद
# निर्वाण पद
ये सात परम स्थान कहलाते हैं। सम्यग्दृष्टि जीव क्रम-क्रम से इन परम स्थानों को प्राप्त कर लेता है।
इन्हें कर्तृन्वय क्रिया भी कहते हैं।
श्रुतपंचमी पर्व- ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को आता है इसदिन आचार्य पुष्पदंत-भूतबली महाराज जी द्वारा षट्खंडागम ग्रन्थराज को पूर्ण किया था और देवों ने ग्रन्थराज की विशेष पूजा की थी, तभी से श्रुतपंचमी पर्व पर विशेष पूजा करने की परम्परा चली आ रहि है
श्रवणबेलगोला तीर्थ कर्नाटक प्रान्त में स्थित है यहाँ भगवान बाहुबली स्वामी की 57 फीट की प्रतिमा विराजमान है इस मूर्ति का निर्माण चामुण्डराय ने करवाया था
इस मूर्ति का सौन्दर्य अपने आप में विशेष है |
कहाँ जाता है -सर्वाधिक तीव्र गति मन अर्थात् चित्त की होती है ,संसार में फसाहुआ मनुष्य निरंतरमन से न जाने कितने संकल्प-विकल्प किया करता है ,एवं उस जन्य ही पुण्य एवं पाप कर्मों का उपार्जन किया करता है |
आगम ग्रन्थों का स्वाध्याय ही इस मन की स्व्च्छन्द गति को रोकने का एक मात्र उपाय हैं |