मोक्ष-विविध दार्शनिकों के मत में!
मोक्ष-विविध दार्शनिकों के मत में परम विदुषी रत्न १०५ गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी मोक्षमार्गस्य नेतारं भेत्तारं कर्मभूभृतां। ज्ञानातारं विश्वतत्त्वानां वंदे तदुगुणलब्धये।।१।। सर्व:प्रेप्सति सत्सुखाप्तिमचिरात्, सा सर्वकर्मक्षयात्।’’ संसार में सभी प्राणी सच्चे सुख की प्राप्ति शीघ्र ही चाहते हैं अर्थात् ऐसे सुख को प्राप्त करना चाहते हैं कि जिसका कभी भी विनाश नहीं हो सके अथवा…