भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन शब्दकोश समीक्षक—डॉ. सुशील जैन, मैनपुरी (वरिष्ठ विद्वान) २१ वीं शताब्दी के प्रारम्भ होते ही मोबाइल, इन्टरनेट व उस पर आधारित विभिन्न सामग्रियों का प्रयोग आज इतना बढ़ा कि उसके कारण पूरा विश्व बहुत छोटा सा लगने लगा है। एक समय था जब अंग्रेजी हटाओ आन्दोलन चला था पर इन सब वैज्ञानिक…
श्रावक संस्कार निर्देशिका समीक्षिका—डॉ. मालती जैन, मैनपुरी (उ.प्र.) (से.नि. प्राचार्या-श्री चित्रगुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय) वैराग्य के प्रतीक केशरिया रंग से अभिमण्डित, चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर एवं श्री वीरसागर महाराज के आशीर्वाद से सिंचित् जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी परम पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी के सूक्ष्म निर्देशन से परिष्कृत प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी की तपःपूत…
अति सुन्दर है ‘‘कुन्दकुन्द मणिमाला’’ का पद्यानुवाद समीक्षक—पं. पदम चन्द्र जैन शास्त्री, साहिबाबाद, (उ. प्र.) (उपाध्यक्ष-तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ) पूज्य आचार्यवर्य कुन्दकुन्द जैन आचार्य परम्परा के मूर्धन्य आचार्य हुए हैं। भगवान महावीर और गौतम गणधर के बाद उन्हीं का नाम स्मरण आज तक किया जा रहा है। और सभी मुनिराज स्वयं को कुन्दकुन्द आम्नायी…
आचार्यश्री के चार स्वप्न (१) लोणंद में– लोणंद चातुर्मास के अन्त में आचार्य महाराज को यह स्वप्न रात्रि के अंतिम प्रहर में दिखाई पड़ा था, आचार्यश्री के आसपास ५०० से अधिक व्यक्ति बैठे थे। उस समय १२ हाथ लंबा सर्प घेरा बांधकर बैठा था। वह लोगों के पास से आकर महाराज के सिर पर चढ़…