02- उत्तम मार्दव धर्म के मुक्तक
उत्तम मार्दव धर्म के मुक्तक मृदुता का भाव कहा मार्दव, यह मान शत्रु मर्दनकारी। यह दर्शन ज्ञान चरित्र तथा, उपचार विनय से सुखकारी।। मद आठ जाति, कुल आदि हैं, क्या उनसे सुखी हुआ कोई। रावण का मान मिला रज में, यमनृप ने सब विद्या खोई।।१।। था इन्द्र नाम का विद्याधर, वह इन्द्र सदृश वैभवशाली। रावण…