आत्मा से इच्छाओं का दमन तक
आत्मा से इच्छाओं का दमन तक आत्मा आत्मा ही सुख और दु:ख को उत्पन्न करनेवाली है ओर उनका क्षय करनेवाली भी है। सन्मार्ग पर चलने वाली अपनी मित्र है और उन्मार्ग पर चलने वाली आत्मा अपनी शत्रु है। आत्मा का स्वरूप आत्मा वास्तव में मन, वचन और कायरूप त्रिदंड से रहित, द्वंद—रहित एकाकी, ममत्व, रहित…