जैन सूक्ति भण्डार!
[[श्रेणी:सूक्तियां]]
सूरत का चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर -पीठाधीश क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज मार्ग और अवस्थिति— सूरत पश्चिम रेलवे का प्रख्यात स्टेशन है। बम्बई नगर से यह २६३ कि.मी. है। यह ताप्ती नदी के तट पर बसा हुआ है जबकि दूसरे तट पर रांदेर है। इसका अपरनाम सूर्यपुर भी मूर्ति लेखों और प्रशस्तियों में उपलब्ध होता है। प्राचीन…
श्री महावीर जिनेन्द्र पूजा स्थापना तर्ज-आने से जिसके आए बहार…….. दर्शन से जिनके कटते हैं पाप, पूजन से मिटते हैं गुरुग्रह ताप, मूरत सुहानी है-तेरी महावीरा, छवि जगन्यारी है-प्रभु महावीरा।।टेक.।।भक्ति करके तेरी, मैं संताप मन का मिटाऊँ। अपने मन में तेरी, प्रतिमा नाथ कैसे बिठाऊँ।। तुम भगवन्, अतिपावन, महिमा निराली है तेरी…
निमित्त-उपादान बाह्याभ्यंतरहेतुभ्यां, प्रपद्यात्मानमात्मनि। स्वोपादानबलेनैव, ह्यात्मा शुद्धो भवेन्मम।।१।। बाह्य और अभ्यंतर निमित्तों से आत्मा में आत्मा को प्राप्त करके अपने उपादान के बल से ही मेरी आत्मा शुद्ध होवे। वर्तमान में मोक्षमार्ग की चर्चा के संदर्भ में यह ‘निमित्त’ भी कुछ लोगों के लिये विवाद का निमित्त बन गया है। वास्तव में निमित्त, हेतु, साधन और…
ध्यान की आवश्यकता आर्तं रौद्रं च दुध्र्यानं, निर्मूल्य त्वत्प्रसादत:। धर्मध्यानं प्रपद्याहं, लप्स्ये नि:श्रेयसं क्रमात्।।११।। हे भगवान! आर्त-रौद्र इन दो दुध्र्यानों को आपके प्रसाद से निर्मूल करके मैं धर्मध्यान को प्राप्त करके क्रम से मोक्ष को प्राप्त करूँगा। ड एकाग्रचिन्तानिरोध होना अर्थात् किसी एक विषय पर मन का स्थिर हो जाना ध्यान है। यह ध्यान उत्तम…
(३) सम्यग्दर्शन य: सार: सर्वसारेषु, स सम्यग्दर्शनं मतम्। आ मुत्तेकर्नहि मां मुञ्चेत्, वृत्तं च विमलीक्रियात्।।१।। सम्पूर्ण सारों में भी जो ‘‘सार’’ है वह सम्यग्दर्शन ही है। मोक्ष होने तक वह मुझे न छोड़े या मुझसे न छूटे और मेरे चारित्र को भी निर्मल करे। डसम्यग्दर्शन, सद्दर्शन, सद्ददृष्टि, सम्यग्दृष्टि, सद्दक्, सम्यग्दृक् और सम्यक्त्व ये सब पर्यायवाची…
तीर्थ शिरोमणि : श्री गिरनार जी गुजरात प्रांत के जूनागढ़ जिले में, अहमदाबाद से ३२७ किलोमीटर की दूरी पर श्री गिरनारजी सिद्धक्षेत्र में २२ वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान् के दीक्षा, ज्ञान एवं मोक्ष कल्याणक हुए हैं। गिरनार पर्वत का प्राचीन नाम ऊर्जयन्त तथा रैवतक गिरि है। जूनागढ़ से इस पर्वत की ओर जाने वाले मार्ग…
विद्यासागर तपोवन सिद्ध क्षेत्र, तारंगाजी ग्राम तारंगा, तहसील सतलासणा, जिला महेसाणा (गुजरात) क्षेत्र का टेलीफोन नम्बर 02761-253430 @253485 यहां के अध्यक्ष श्री जयन्ती भाई तलोद है तथा मंत्री श्री कन्नूभाई मेहता सूरत है । यहां के व्यवस्थापक ब्र.. श्री मणिभाई शाह सात प्रतिमाधारी है । यहां यात्रियों के ठहरने के लिए 48 डीलक्स कमरे है…
[[श्रेणीःशब्दकोष]] निधत्त और निकाचित-जो कर्म उदयावलीविषै प्राप्त करने को वा अन्य प्रकृतिरूप संक्रमण करनेकौ समर्थ न हूजे सो निधत्त कहिये” बहुरि जो कर्म उदयावली विषै प्राप्त करने को,वा अन्य प्रकृतिरूप संक्रमण करने कौ,वा उत्कर्षण करने कौ समर्थ न हूजै सो निकाचित कहिये”